सिंगरौली। सिंगरौली जिले के चितरंगी क्षेत्र के युवा वैज्ञानिक डॉ.अरविंद सिंह चंदेल ने भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय मंच पर रोशन किया है। उन्होंने एक नई ऊतक सीलेंट तकनीक विकसित की है,जो मस्तिष्क और रीढ़ की सर्जरी में होने वाले मस्तिष्क-मेरु द्रव सी.एस.एफ रिसाव को रोकने में मददगार साबित होगी। यह तकनीक मौजूदा महंगे सीलेंट्स का सस्ता और प्रभावी विकल्प साबित हो सकती है। डॉ.चंदेल ने वर्ष 2018 में सी.एस.आई.आर-सी.एस.एम. सी.आर. आई. भवनगर,गुजरात से बायोमेडिकल सामग्री में पीएच.डी.पूरी की। इसके बाद वे लगातार विदेशों में उच्च स्तरीय शोध कार्य कर रहे हैं। उन्होंने जापान के टोक्यो विश्वविद्यालय में पहले जे.एस.पी. एस.पोस्टडॉक्टोरल फेलो और फिर सहायक प्रोफेसर के रूप में लगभग पाँच वर्षों तक कार्य किया। वर्तमान में वे आयरलैंड के लिमरिक विश्वविद्यालय में यूरोपीय संघ की प्रतिष्ठित मैरी स्क्लोडोव्स्का-क्यूरी पोस्टडॉक्टोरल फेलोशिप पर शोधरत हैं। उनकी खोज पर आधारित शोध प्रतिष्ठित अमेरिकन केमिकल सोसायटी की पत्रिका बायो मैक्रोमोलेक्यूल नामक अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।और इस तकनीक को जापान की दिग्गज मोचिदा फ़ार्मास्यूटिकल कंपनी लिमिटेड,टोक्यो ने अपनाया है। यह तकनीक पेटेंटेड है और भविष्य में इसके व्यावसायिक उपयोग का मार्ग प्रशस्त हुआ है। अब तक डॉ.चंदेल ने 39 से अधिक शोधलेख,8 पेटेंट और 2 किताबें प्रकाशित की हैं। बायो मटेरियल्स के क्षेत्र में उनके योगदान को मेडिकल साइंस का गेम-चेंजर माना जा रहा है। डॉ.चंदेल का कहना है कि मैं सिंगरौली की मिट्टी से जन्मा हूँ और इसी धरती की ऊर्जा मुझे दुनिया के लिए कुछ नया करने की प्रेरणा देती है। मेरा हमेशा से सपना रहा है कि विज्ञान केवल प्रयोग शालाओं तक सीमित न रहे,बल्कि आम लोगों के जीवन को सुरक्षित, सस्ता और आसान बनाए। यह खोज केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं,बल्कि उन लाखों मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण है,जो इलाज की महंगी लागत से जूझते हैं। मेरा विश्वास है कि यह तकनीक आने वाले समय में भारत ही नहीं,पूरी दुनिया के लिए जीवन दायी साबित होगी।
Singrauli:डॉअरविंद सिंह चंदेल की विश्व स्तर पर गूंज,बायो मेडिकल विज्ञान में की बड़ी खोज
byडी.डी.यादव,(प्रधान संपादक)
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