अनपरा में धूमधाम से मना जश्ने ईद मिलादुन्नबी:जूलूस में दिखी गंगा जमनी तहजीब,जानिए क्यों मनाई जाती है यह पर्व

अनपरा/सोनभद्र। नगर पंचायत अनपरा में ईद मिलादुन्नबी पर जुलूस में गंगा जमुना की तहजीब पर हिंदू व मुस्लिम का भाईचारा दिखा अमन और शान्ति का संदेश दिखा इस्लाम धर्म के पैगम्बर मोहम्मद साहब की यौम ए पैदाइश का जश्न शुक्रवार को नगर पंचायत अनपरा सहित अन्य क्षेत्रों में शान्ति पूर्ण माहौल में शान व शौकत से मनाया गया। इस अवसर पर अनपरा में भिन्न भिन्न कार्यक्रम के जरिए जश्ने-ए आमद-ए रसूल का पर्व अकीदतमंदों द्वारा मनाया गया। गाजे बाजे डीजे के साथ जुलुस नूरिया मुहल्ला से होते हुए अनपरा महावीरी चौक रेनुसागर,ककरी कालोनी,झूलनट्राली,औड़ी मोड़, काशीमोड़,अनपरा कालोनी होते हुए वापस नूरिया मुहल्ला हुआ। जिसमें अनपरा परिक्षेत्र के हिन्दू मुसलमान जुलूस में शामिल रहे।
जुलूस निकाल कर अमन और शान्ति का संदेश दिया गया।
ईद-ए-मिलाद-उन-नबीका पर्व एक विशेष महत्व रखती है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक,रबी-उल- अव्वल महीने की 12 वीं तारीख को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मनाई जाती है।
यह दिन इसलिए खास है,क्योंकि इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार,कुछ लोग इसे एक खुशी के मौके की तरह मनाते हैं,तो वहीं कुछ लोग इसे एक शोक के दिन में भी मनाते हैं।
चलिए जानते हैं इस बारे में..
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मनाए जाने की सटीक तारीख चांद के दिखने पर निर्भर करती है। ऐसे में 5 सितंबर यानी शुक्रवार ईद-ए- मिलाद-उन-नबी मनाया गया।
इसलिए मनाई जाती है ईद-ए-मिलाद-उन-नबी इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार,पैगंबर मोहम्मद का जन्म मक्का में हुआ था। माना जाता है कि हजरत मोहम्मद का जन्म उन्हें समाज में फैल रहे अंधकार को दूर करने व बुराइयों को खत्म करने के लिए हुआ था। माना जाता है कि पैगंबर मोहम्मद का जन्म लगभग 570 ईस्वी में मक्का में हुआ था। उनका जन्म रबी-उल-अव्वल महीने की 12 तारीख पर मिलादुन्नबी के दिन हुआ था।
इसलिए इस दिन को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के रूप में मनाए जाने की परम्परा है।वहीं यह भी माना जाता है कि रबी-उल-अव्वल महीने की 12वें दिन ही पैगंबर मोहम्मद का इंतकाल भी हुआ था। इसलिए कुछ लोग इसे शोक के रूप में भी मनाते हैं।
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी को बहुत ही उत्साह के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर लोग अपने घरों को सजाते हैं और मस्जिद में सजदा करने जाते हैं। इस दिन पर दरगाह चादर भी चढ़ाई जाती है। ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के दिन-ज्यादा-से-ज्यादा समय अल्लाह की इबादत में गुजारा जाता है। साथ ही इस दिन पर जुलूस निकाले जाते हैं और लोग एक-दूसरे को गले लगकर मुबारकबाद देते हैं।

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