म्योरपुर/सोनभद्र। म्योरपुर ब्लॉक के रासपहरी स्थित लौवा नदी के उद्गम स्थल से रविवार को 22 नदी यात्रियों ने पदयात्रा शुरू की और वहां से कुसम्हा के बगैयानार तक लगभग 6 किमी जंगल झाड़ियों के बीच रास्ता पार कर नदी की स्थिति का जाएगा लिया। जंगल के चरवाहों और स्थानीय ग्रामीणों से नदी के बारे में जानकारी ली गई। इसके बाद रास पहरी विद्यालय परिसर और कुसम्हा के पंचायत भवन पर ग्रामीणों के साथ बैठक कर चर्चा की जबकि दूसरी टीम मनबसा और करम डाढ़ में नदी का हाल जाना।पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ अनिल गौतम,प्रेम नारायण,शुभा प्रेम ने नदियों से ग्रामीणों को मिलने वाला प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ की जानकारी ली साथ ही जंगल,पेड़,पौधे और मनुष्य के आपसी रिश्ते को लेकर गहराई से चर्चा की गई।ग्रामीणों ने बताया कि पहले यह नदी 11 माह बहती थी अब 6 माह में ही सुख जाती है।बताया कि नदी में बालू खनन,जल स्रोत को बढ़ावा देने वाले पेड़ और झाड़ियां कट गई जिससे पानी रुकता नहीं है। डॉ गौतम ने इसे पुनर्जीवित करने पर परिचर्चा की और ग्रामीणों से राय मांगी कि ऐसा कौन सा प्रयास किया जाए जिससे नदी पुनःपहले की स्थिति में आ जाए।इसको लेकर ग्रामीणों के साथ एक कार्ययोजना पर भी चर्चा हुई। मीना,उमेश चौबे,सुरेश,बेचन,शेर सिंह अनीता,आदि पदयात्रियों ने बताया कि पहले दिन की यात्रा बहुत सुखद और ज्ञान भरा रहा।हम लोग ग्रामीण क्षेत्र में रह कर भी नदी को इतनी गहराई से नहीं जान पाए थे।बताया कि सोमवार को टीम झारो और आगे के गांव तक यात्रा करेगी। मौके पर देवनाथ भाई,जगत नारायण विश्वकर्मा, भाई,अशोक सिंह,कृष्णा,आदि मौजूद रहे।
22 पदयात्रियों ने लौआ नदी के उद्गम स्थल से शुरू किया पदयात्रा:नदी के सेहत का जाना हाल,ग्रामीणों से किया चर्चा
byडी.डी.यादव,(प्रधान संपादक)
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