महोबा। पीड़िता के अधिवक्ता ने बताया कि महोबा जिले में कार्यरत अनुसूचित जाति की लड़की जो लेखपाल के पद पर अपने जिले में कार्यरत चरखारी क्षेत्र के ग्राम अंधौरा के लेखपाल प्रदीप कुमार सिंह पटेल से वर्ष 2019 में स्टाफ का होने के कारण जान पहचान हो गई ।आरोप है कि 4 वर्ष पूर्व प्रदीप कुमार सिंह पटेल लेखपाल के द्वारा पीड़िता से कहा गया था कि जन्मदिन मनाने के लिए रात का डिनर करने की बात कही और प्रदीप कुमार सिंह पटेल के द्वारा कोल्डिंग में नशीला पदार्थ मिलाकर बेहोश कर दिया गया जिसका फायदा उठाकर प्रदीप कुमार सिंह पटेल ने उसकी इच्छा के विरुद्ध जबरन बलात्कार किया और उसकी अश्लील वीडियो बना लिया उसके होश में आने पर उसने कहा कि शिकायत मत करना उससे शादी कर लेगा ।उस व्यक्ति के झांसे में वह फस गई एवं प्रदीप कुमार सिंह पटेल लगातार 4 वर्षों से शादी का झांसा देकर बलात्कार करता रहा । मना करने पर वीडियो वायरल की धमकी देता था जिससे वह अपनी बदनामी के डर से उक्त व्यक्ति की कही पर शिकायत नहीं कर सकी ।अब 4 साल बाद लड़की को जाति सूचक शब्दों हरिजन से अपमानित करते हुए कहां की तुमसे शादी नहीं करूंगा और जान से मारने की धमकी दी। इस बात की सूचना उसने उच्च अधिकारियों से एफ आई आर दर्ज करने के लिए शिकायत किया लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई तब याचिकाकर्ती ने अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एस सी/एस टी एक्ट) महोबा न्यायालय में परिवाद दाखिल किया इसके समर्थन में लेखपाल रामकुमार व लेखपाल दिनेश कुमार ने बयान भी दिया लेकिन विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट महोबा ने परिवादानी के प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया ।
विपक्षी की ओर से अधिवक्ता सुनील चौधरी ने याचिका का विरोध करते हुए बहस में बताया कि पीड़िता के साथ नशीली दवा पिलाकर पहली बार जबरन बलात्कार किया गया उसने कोई शिकायत नहीं की तथा इसके पश्चात पक्षकारों के मध्य सालों तक शारीरिक संबंध बनते रहे साक्षी लेखपाल रामकुमार व दिनेश कुमार ने न्यायालय के समक्ष दिए गए अपने बयानों में भी कहा कि उनके मध्य प्रेम प्रसंग थे तथा शारीरिक संबंध बनते रहे । पीड़िता एक अनुसूचित जाति की महिला थी तथा उसे यह पता था कि विपक्षी गैर अनुसूचित कुर्मी जाति से संबंध रखता है जिस कारण दोनों की शादी में अडचन आएगी । पीड़िता द्वारा प्रेम संबंध रखते हुए विपक्षी द्वारा शादी करने का वादा करने पर 4 साल तक संबंध बनाए रखने का कोई शिकायत ना करना इस बात को इंगित करता है की पीड़िता ने अपनी सहमति से शारीरिक संबंध बनाए प्रथम दृष्टिया पर्याप्त सामग्री उपलब्ध नहीं होने के कारण आवेदिका का परिवाद पत्र अंतर्गत धारा 203 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत निरस्त कर दिया ।उस आदेश के विरुद्ध पीड़िता ने माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की।
याचिका पर न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने पीड़िता के अधिवक्ता भास्कर भद्रा व विपक्षी प्रदीप कुमार सिंह पटेल की ओर से अधिवक्ता सुनील चौधरी को सुना।
विपक्षी प्रदीप कुमार सिंह पटेल ,लेखपाल की ओर से अधिवक्ता सुनील चौधरी ने कहा पीड़िता की शिकायत थाने,एसडीएम,व एसपी महोबा को स्वयं लिखकर दिया कि मैं कोई कार्यवाही नही चाहती हु और हम लोग अलग अलग शादी कर लेंगे।उसके बाद लेखपाल प्रदीप ने अपना उधार 2 लाख रुपये मांगा तो परिवाद केस कर दिया।
विपक्षी के अधिवक्ता की ओर से उच्चतम न्यायालय के आदेशों का हवाला दिया गया की 4 साल से महिला विपक्षी के साथ में सहमति से रह रही है विपक्षी ने याची के साथ कोई भी बलात्कार नहीं किया है जिस पर हाईकोर्ट ने भी पीड़िता की याचिका को खारिज कर दिया।