एनटीपीसी विंध्याचल ने सत्यमेव जयते नाटक के साथ किया सत्यनिष्ठा माह का समापन

सिंगरौली। एनटीपीसी विंध्याचल ने 1 सितम्बर को प्रशासनिक भवन सभागार में अगस्त माह के मूलमंत्र सत्यनिष्ठा के सफल समापन का भव्य आयोजन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं एनटीपीसी गीत के साथ हुआ,जहाँ मानव संसाधन प्रमुख विंध्याचल राकेश अरोड़ा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि मूल्य निरपेक्ष नहीं होते,इन्हें प्रतिदिन जीवन में उतारना आवश्यक है। इस अवसर पर विंध्याचल परिवार ने अपनी रचनात्मकता और उत्साह का शानदार प्रदर्शन किया। कर्मचारियों एवं परिवारजनों ने प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की-सुश्री अभा, वरिष्ठ प्रबंधक मटीपी द्वारा सत्यनिष्ठा पर लघु फिल्म, श्री राघवेन्द्र प्रसाद,अपर महाप्रबंधक आरएलआई, द्वारा कहानी वाचन तथा टाउनशिप की महिलाओं द्वारा बनाए गए प्रेरणादायी कोलाज विशेष आकर्षण रहे। कार्यक्रम में डीपीएस और डी पॉल स्कूल के चार विद्यार्थियों ने विषय "सफलता से अधिक महत्वपूर्ण है सत्यनिष्ठा” पर वाद-विवाद किया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। मुख्य आकर्षण रहा “सत्यमेव जयते” नाटक,जिसे नए कार्यकारी प्रशिक्षुओं ने श्री राघवेन्द्र प्रसाद के मार्गदर्शन में प्रस्तुत किया। नए कार्यकारी प्रशिक्षुओं ने “सत्यमेव जयते”नाटक प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। इस अवसर पर डॉ.ओम प्रकाश,उप महाप्रबंधक मानव संसाधन एनटीपीसी सिंगरौली एवं श्रीमती पूर्णिमा चतुर्वेदी,वरिष्ठ प्रबंधक मानव संसाधन एनटीपीसी विंध्याचल निर्णायक के रूप में उपस्थित रही। कार्यक्रम का समापन पुरस्कार वितरण से हुआ,जहाँ संजीब कुमार साहा,मुख्य महाप्रबंधक विंध्याचल ने सभी प्रतिभागियों को बधाई दी और माहभर चले आयोजनों के सफल समन्वय की सराहना की। कार्यक्रम में संजीब कुमार साहा, मुख्य महाप्रबंधक विंध्याचल की गरिमामयी उपस्थिति के साथ दीपु ए, महाप्रबंधक संविदा एवं सामग्री, एस.के.सिन्हा,महाप्रबंधक प्रचालन एवं एफएम,डॉ.बी.के.भराली, महाप्रबंधक चिकित्सा,देबब्रत त्रिपाठी,महाप्रबंधक तकनीकी सेवाएँ,राकेश अरोड़ा,मानव संसाधन प्रमुख विंध्याचल,डॉ. देबास्मिता त्रिपाठी,अपर महाप्रबंधक आरएलआई, टी.आर.राधीश,अपर महाप्रबंधक सतर्कता,आशीष अग्रवाल,अपर महाप्रबंधक सुरक्षा,डॉ.जनार्दन पाण्डेय,प्राचार्य डीपीएस तथा कर्मचारियों व उनके परिवारों की सहभागिता ने इस समारोह को अविस्मरणीय बना दिया। यह आयोजन विंध्याचल की उस सशक्त प्रतिबद्धता को दर्शाता है जिसमें सत्यनिष्ठा को केवल सिद्धांत नहीं,बल्कि जीवन का अंग मानकर जीने पर बल दिया जाता है।

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