सरकारी नौकरी में कार्यरत झुठेली पत्नी का भत्ता निरस्त,शौहर को मिली बड़ी राहत

कानपुर/कन्नौज।वैवाहिक विवाद में पत्नी अज़रा बेगम निवासी सुभाष नगर कस्बा थाना सौरिख जनपद कन्नौज ने अपने शौहर मसरूफ अली निवासी नवाबगंज कानपुर नगर के विरुद्ध भरण पोषण भत्ता दिए जाने हेतु प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय कन्नौज में वाद दाखिल किया था ।जिसमें परिवार न्यायालय ने याची मसरूफ अली को दस  हजार पत्नी को बतौर भरण पोषण व अपने 2 बच्चों को दो-दो हजार रुपये प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने के तिथि से दिए जाने का आदेश पारित किया था ।
कानपुर निवासी याची मसरूफ अली  की ओर से अधिवक्ता सुनील चौधरी ने न्यायमूर्ति  मदन पाल सिंह  को दलील दी कि पत्नी ने झूठा शपथ पत्र देकर परिवार न्यायालय को गुमराह कर 14 हजार भत्ता दिए जाने का आदेश  पारित करा लिया। पत्नी ने अपने को घरेलू महिला जिसकी आमदनी का कोई श्रोत नही,कहकर आदेश पारित करा लिया जो की सुप्रीम कोर्ट  के द्वारा दी गई गाइडलाइंस का भी उल्लंघन है।भरण पोषण भत्ता दिए जाने के आदेश के विरुद्ध याची ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें विपक्षी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा । 
याची अधिवक्ता सुनील चौधरी  ने बताया कि पत्नी ने परिवार न्यायालय में झूठा शपथ पत्र देकर अपने को बेरोजगार बताया था ।जबकि जिरह में स्वीकार किया था कि वह वर्तमान समय मे एफ.एच. मेडिकल कालेज,टूंडला (फिरोजाबाद) में सरकारी सेवा में कार्यरत है ,पत्नी के झूठे बयान दिए जाने पर याची ने 340 सीआरपीसी की प्रार्थना पत्र दिया जिसमें बताया कि पत्नी सरकारी नौकरी में है और  मदरशा में अध्यापक रह चुकी है ।जिसकी सैलरी 70 हजार रुपये प्रतिमाह है। याची की ओर से पत्नी के द्वारा झूठा शपथपत्र देने के विरुद्ध मुकदमा चलाये जाने की प्रार्थना पत्र को बिना निस्तारित किये परिवार न्यायालय ने विपक्षी पत्नी व 2 बच्चो को 14 हजार रुपये भत्ते को दिए जाने का आदेश पारित किया है।
याची अधिवक्ता सुनील चौधरी ने  दलील दी कि पत्नी ने परिवार न्यायालय में शपथपत्र देकर झूठा बयान दिया था और हाइकोर्ट में भी अपने जवाब में उसने नौकरी कर 70 हजार आमदनी होने को इनकार किया है जो न्यायालय की अवमानना की श्रेणी में आता है ।पूर्व में हाइकोर्ट ने याची के विरुद्ध 10 लाख की रिकवरी किये जाने के परिवार न्यायालय के  आदेश को भी निरस्त कर दिया था।
अधिवक्ता की दलील सुनकर न्यायालय ने याची की याचिका को स्वीकार करते हुए पत्नी को भत्ता दिए जाने का आदेश निरस्त कर दिया और याची की प्रार्थना पत्र पत्नी के विरुद्ध मुकदमा चलाये जाने के प्रार्थना पत्र को आदेश की सत्यापित प्रति मिलने के बाद 6 सप्ताह के अंदर  340 crpc की प्रार्थना पत्र पर निर्णय लेने का आदेश परिवार न्यायालय कन्नौज को दिया और उसके बाद भत्ता दिए जाने की प्रार्थना पत्र पर दोनो पक्षों को सुनकर 2 महीने के अंदर निर्णय लेने का आदेश पारित किया।

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